जतमई जलप्रपात शुरू होते ही पर्यटकों के साथ व्यापारियों के खिले चेहरे

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गरियाबंद। लंबे इंतजार के बाद बुधवार देर शाम क्षेत्र में हुई झमाझम वर्षा ने जहां किसानों को राहत प्रदान किया है, वहीं प्रदेश के प्रसिद्ध जतमई जल प्रपात के शुरू होने से पर्यटकों के साथ यहां के व्यापारियों के मुरझाए चेहरों पर रौनक लौट आई है। यहां पर हम आपको बता दें कि जतमई जलप्रपात के शुरू होने का इंतजार पर्यटकों के साथ व्यापारियों को भी था। जल प्रपात शुरू नहीं होने से पर्यटकों की भीड़ में कमी देखने को मिल रही थी जिसके चलते पर्यटकों पर निर्भर व्यापार लगभग ठप्प था पर जल प्रपात के शुरू होने से यहां के व्यापार अपनी रफ्तार पकड़ेगा ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। राजधानी से नजदीक होने से यहां पर काफी संख्या में पर्यटक आते है वीकेंड पर तो यहां काफी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु पहुंचते हैं।

आमतौर पर यह देखा गया है कि मानसून प्रारंभ होते ही प्रदेश और आसपास राज्यों के पर्यटक मंदिर और प्राकृतिक चीजें देखने इधर-उधर जाते हैं। अगर आप भी कहीं पर घूमने के लिए सोच रहे हैं तो जतमई मंदिर आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। यहां आपको दोनो चीज देखने को मिल जाएगा। यहां आपको माता के मंदिर के साथ प्राकृतिक जलप्रपात देखने को मिलेगा जो इन दिनों मनमोहक प्रतीत हो रहा है।

जतमई मंदिर झरना

जतमई मंदिर को मुख्य रूप से यहां स्थित मंदिर और प्राकृतिक रूप से बहते जलप्रपात के लिए जाना जाता है। आपने इससे पहले भी कई जलप्रपात देखे ही होंगे लेकिन यह जलप्रपात कुछ खास है, क्योंकि अगर यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो यह जलप्रपात माता की सेविका है जो कि माता के चरणों को छुकर नीचे गिरती है। जतमई का झरना नीचे गिरते समय विहंगम दृश्य प्रगट करता है, जिसे देखने के लिए किसी का भी मन मचल उठेगा। अगर आपको इस झरने का विशाल रूप देखना है तो यह समय उपयुक्त है।

वहीं दूसरी ओर जतमई माता का मंदिर चारों तरफ से हरे-भरे पेड़ से प्राकृतिक रूप से अच्छादित है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। पत्थरों से टकराकर कलकल ध्वनि के साथ बहने वाला जलप्रपात पर्यटकों का मन मोह लेता है। अगर हम बात करें मुख्य मंदिर की तो जतमई माता के मंदिर में मुख्य मूर्ति जतमई माता की ही है और इसके नाम से ही इस क्षेत्र को जाना जाता है। मंदिर परिसर में अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर है, जिसका दर्शन किया जा सकता है।

कैसे पहुंचे यहां

जतमई जलप्रपात राजधानी रायपुर से 90 किलोमीटर की दूर पर गरियाबंद जिला में स्थित है। यहां आने के लिए आपको अपने साधन से आना होगा। यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए कोई सुविधा नहीं है।

ठहरने-खाने का इंतजाम भी अब उपलब्ध

जतमई-घटारानी पर्यटन को आने वाले पर्यटकों के लिए अब जतमई में ठहरने और अच्छे भोजन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। जतमई मंदिर से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित तालेसर गांव में एक खूबसूरत रिसॉर्ट जतमई रिजॉर्ट तालेसर के नाम से बनाया गया है, जहां पर पर्यटकों के ठहरने के लिए एसी कमरे रिजनेबल रेट पर उपलब्ध है, साथ ही रिजॉर्ट में पर्यटकों को मनपसंद भोजन व नाश्ता परोसने के लिए व्यवस्थित रेस्टोरेंट भी है। जतमई-घटारानी जलप्रपात घूमने आने वालों के लिए ठहरने व भोजन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।