नये साल में फिटनेस के वादे-इरादे

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खुद से ही नये वादे करने और अपने इरादों को मजबूती देने के लिए ख़ास पड़ाव माना जाने वाला नया साल दस्तक दे दिया है। ऐसे में ख्याल रहे कि हर इरादा अच्छी सेहत की बुनियाद पर ही खड़ा हो सकता है। मन और शरीर का स्वस्थ होना हर मंजिल को पाने की दौड़ में हिस्सेदारी के लिए जरूरी है। साथ ही कोविड महामारी का दौर भी यह यह पाठ पढ़ाकर गया है कि सेहत सहेजने के लिए हर दिन सजग और सक्रिय रहना जरूरी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता सबसे अहम है। अच्छी इम्युनिटी के लिए एक्सरसाइज, सही खानपान और स्वास्थ्य बिगाड़ने वाली बुरी आदतों से दूरी जरूरी है। इसलिए नये साल में कदम रखते हुए सबसे पहले खुद से स्वास्थ्य सहेजने का वादा कीजिए।

प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर

चर्चित फिलोसोफर डेसिडरियस इरास्मस का कहना है कि ‘ रोकथाम इलाज से बेहतर है।’ सही भी है कि क्योंकि परहेज कई परेशानियों से बचा लेता है। कोरोना काल की पीड़ा झेल लेने के बाद तो यह लाइफ सेविंग बात गहराई से समझने योग्य लगती है। यकीनन, इलाज के फेर में पड़ कर अपनी सेहत ठीक करने से कहीं अच्छा बचाव करना है। अफसोस कि यह समझते हुए भी हमसे गलती होती है। ऐसे में कई बीमारियां तो अनदेखी की वजह से ही अपनी जड़ें जमाती हैं। याद रहे कि आपका शरीर आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। इस बात को समय रहते समझिए और अपने हेल्थ की सही देखभाल कीजिए। सेहत से जुड़ी परेशानियों के दस्तक देने से पहले ही सेहत दुरुस्त रखने के लिए सक्रिय-सजग रहिए। नववर्ष इस रेजोल्यूशन के लिए मुफीद समय है।

सुखद जीवन की नींव अच्छी सेहत

अच्छा स्वास्थ्य अंदरूनी शक्ति, शांत मन और आत्मविश्वास लाता है, जो बहुत महत्वपूर्ण है- यह कहना है दलाई लामा का। सचमुच जिंदगी एक पैकेज की तरह है। जिसमें बहुत कुछ समाहित है। जीवन से जुड़े हर भाव को खुशनुमा ढंग से जीने के लिए अच्छी हेल्थ सबसे जरूरी है। कहते भी हैं कि जिंदगी जीने में और स्वस्थ ज़िंदगी जीने में बहुत फर्क होता है। जिंदगी में दूसरी सभी ख़ुशियों को अच्छे से जीने के लिए शरीर और मन दोनों का स्वस्थ होना आवश्यक है। शारीरिक सक्रियता और मानसिक रूप से शांत-सहज रहने का मेल स्वस्थ जीवन की बुनियाद है। उद्यमी जिम रोहन का भी कहना है कि ‘अपने शरीर की देखभाल करो। यही वह जगह है जहां तुम्हें रहना है।’ ऐसे में यह तय कीजिए कि हर दिन अपने शरीर की संभाल-देखभाल के लिए समय निकालेंगे।

समय रहते संभलें

लेखक और विदूषक जोश बिलिंग्स का मानना है कि ‘हमारा स्वास्थ्य हमारी सबसे बड़ी सम्पत्ति है, इसका अहसास तब होता है जब हम इसे खो देते हैं।’ ऐसे में आप समय रहते चेतें। आजकल मोटापा, हृदय रोग, किडनी से जुड़ी समस्याएं और कैंसर जैसी व्याधियां कम उम्र में ही देखने को मिल रही हैं। इसकी वजह अव्यवस्थित लाइफस्टाइल, फास्ट फ़ूड का सेवन और भागमभाग से बढ़ता तनाव तो है ही, कोरोना की महामारी ने भी प्रतिरोधक क्षमता को कम किया है। कम उम्र के लोगों का भी जीवन जोखिम में पड़ने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। ऐसे में समय पर सेहत से जुड़ी परेशानी को लेकर सतर्क होना जरूरी है। हेल्थ ही अच्छी न रहे तो आपका सब कुछ कमाना-जुटाना व्यर्थ है। चाणक्य के मुताबिक़, ‘जिस मनुष्य के पास अच्छा स्वास्थ्य नहीं हैं, तो समझो उसके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है।’ इसीलिए जिंदगी की आपाधापी में स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। कहते भी हैं कि हम पहले पैसा कमाने के लिए सेहत खोते हैं और फिर सेहत कमाने के लिए पैसा गंवाते हैं। नये वर्ष में कदम रखते हुए खुद से इस तकलीफदेह फेर न पड़ने का पक्का वादा कीजिए।