सौतेली मां को अनुकंपा नियुक्ति देने के मामले में हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से मांगा जवाब

Chhattisgarh Crimes

बिलासपुर। सौतेली मां को अनुकंपा नियुक्ति देने के एक मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस पीपी साहू ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। साथ ही, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव से भी जवाब तलब किया है।

मामला इस प्रकार है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में सहायक वर्ग दो में पदस्थ राकेश कुमार शर्मा की दिनांक 9 सितंबर 2017 को मृत्यु हो गयी थी। इसके बाद उनके पुत्र शुभम शर्मा ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रपत्र में दिनांक 15 नवंबर 2017 को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया। दिवंगत शासकीय सेवक की पहली पत्नी का वर्ष 2008 में देहांत हो गया था, जिसके बाद वर्ष 2013 में उन्होंने गीता शर्मा, जिनके पहले पति ने आत्महत्या कर ली थी, से दूसरी शादी की थी। दिवंगत राकेश कुमार शर्मा के मृत्यु के तेरहवें दिन, उनकी दूसरी पत्नी गीता शर्मा अपने सौतेले बेटे, सास और ससुर को छोड़कर मायके चली गयी। गीता शर्मा द्वारा मृत्यु के करीबन चार साल बाद तक निर्धारित प्रपत्र में आवेदन नहीं जमा किया गया था, जबकि शुभम शर्मा द्वारा प्रथम आवेदन के बाद लगातार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को अनुकम्पा नियुक्ति के लिए स्मरण पत्र लिखे गएI जिसपर यूनिवर्सिटी द्वारा शुभम शर्मा से अपनी सौतेली मां से अनापत्ति लाने को कहा जाने लगा। वर्ष 2021 में शुभम शर्मा द्वारा उनके आवेदन पर सुनवाई ना होने से व्यथित होकर उनके द्वारा माननीय हाईकोर्ट में याचिका पेश की गयी थी, जिसमें कोर्ट ने 60 दिनों में याचिकाकर्ता के आवेदन पर सुनवाई करने कहा था।

मामले ने तब तूल पकड़ा जब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के रजिस्ट्रार द्वारा दिवंगत शासकीय सेवक के पुत्र के आवेदन को निरस्त करते हुए उसी आदेश में आगे गीता शर्मा (विधवा) को ही अनुकंपा नियुक्ति भी दे दी गयी। शुभम शर्मा द्वारा आपत्ति जताने पर उन्हें संबंधित विभाग द्वारा पत्राचार करते हुए यह बोला गया कि गीता शर्मा ने अनुकंपा नियुक्ति पूर्व घोषणा पत्र में दिवंगत शासकीय सेवक के परिवार का भरण पोषण करने का वचन दिया है और अनुकंपा नियुक्ति के निर्देशों में विधवा को अनुकंपा नियुक्ति के मामले में प्रथम प्राथमिकता होने के कारण उन्हें 13 जनवरी 2022 को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर दी है। कुछ माह बाद दिवंगत के पुत्र और दिवंगत के माता और पिता द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के रजिस्ट्रार को निवेदन किया कि गीता शर्मा अपने सौतेले बेटे, सास और ससुर की अनुकंपा नियुक्ति उपरांत किसी तरीके की आर्थिक सहायता नहीं की है, जिसके बाद यूनिवर्सिटी द्वारा गीता शर्मा को सुनवाई का मौका दिया गया। इसमें उन्होंने अपने सौतेले बेटे को वयस्क बताते हुए उनकी और बाकी परिवार को बताया कि वे गीता शर्मा पर आश्रित नहीं माने जा सकते। गीता शर्मा के जवाब के कुछ महीने बाद तक भी जब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया, जिससे व्यथित होकर उन्होंने पुनः अपने अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा हाईकोर्ट में याचिका पेश की है।

याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस पीपी साहू जी की सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनादि शर्मा ने तर्क दिया गया कि अनुकंपा नियुक्ति के निर्देश दिनांक 14.06.2013 और समय समय पर किए गए संशोधनों का दिनांक 23.02.2019 के संकलन के नियम क्रमांक 5 में विधवा को अनुकम्पा नियुक्ति में प्रथम पात्रता के साथ उन विधवा के अन्य नियमों के कारण अपात्र होने की स्थिति में, अन्य परिवार के सदस्य जो दिवंगत शासकीय सेवक पर आश्रित थे, उनके अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदन विचारणीय होंगे। इसके अलावा नियम 15 (2) में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र शीघ्र अतिशीघ्र अधिकतम तीन माह के भीतर विभाग में जमा करने का वर्णन है। गीता शर्मा द्वारा उनके पति के मृत्यु के करीबन 4 साल बाद अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन जमा किया गया, जिससे यह समझ में आता है कि यदि उनके पति के देहांत के बाद उनके जीवन में कोई आर्थिक संकट आया भी हो तो खत्म हो चुका था, इसीलिए वे अपात्र की श्रेणी में आती हैं।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा जब शुभम शर्मा के आवेदन को निरस्त करके उसी आदेश में जब गीता शर्मा को नियुक्ति दी गयी, तब शुभम शर्मा द्वारा 2017 के आवेदन के बारे में जानकारी लुप्त करते हुए उनके बाद में दिए स्मरण पत्र को ही अनुचित माध्यम से भेजा हुआ आवेदन बता दिया गया जो संदेहास्पद है। इसके अलावा नियम 15 (13) में सीधा उल्लेख है कि अनुकम्पा नियुक्ति के किसी भी आवेदक द्वारा अगर परिवार के अन्य सदस्यों का समुचित भरण पोषण करने वाले घोषणा पत्र का उल्लंघन होता है तो उनकी अनुकम्पा नियुक्ति समाप्त की जा सकेगी। अधिवक्ता ने कोर्ट को यह बताया कि अनुकम्पा नियुक्ति दिवंगत शासकीय सेवक के परिवार में उस सेवक के मृत्यु उपरांत आये आर्थिक संकट से निपटने के लिए सामान्य भर्ती नियमों में एक अपवाद है और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा नियमों की आड़ में गीता शर्मा को नियमों में दिए आवेदन जमा करने के सालों बाद आवेदन जमा कराया गया और अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ दिया जाकर उन्हें सहायक वर्ग तीन बनाकर पं. किशोरी लाल शुक्ला उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, राजनांदगांव में पदस्थ कर दिया गया।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा गीता शर्मा के जवाब में उनके घोषणा पत्र के उल्लंघन को स्वयमेव मान लिया गया, तब भी यूनिवर्सिटी द्वारा आज दिनांक तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है, और याचिकाकर्ता जिस पर चार साल से आर्थिक विपत्ति उनके पिता के देहांत उपरांत बनी थी, जस की तस अभी भी बनी हुई है। याचिका में यह भी बताया गया कि गीता शर्मा की उम्र को देखते हुए उन्हें सर्विस के बाद पेंशन और अन्य स्कीम का लाभ नहीं मिल सकेगा जबकि याचिकाकर्ता जो 27 वर्ष के हैं, अगर उन्हें अनुकम्पा नियुक्ति मिलती है तो वे उनके उज्जवल भविष्य के लिए भी बेहतर होगा। याचिका की सुनवाई के उपरांत हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और अन्य से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है, जिसके बाद मामले में आगे कि सुनवाई होगी।