तिथियों के उलझन में आज सुने सुने रहे देवालय

Chhattisgarh Crimes

किशन सिन्हा/छत्तीसगढ़ क्राइम्स

छुरा. सावन के महिने में तमाम शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है और अगर बात सावन के आखिरी दिन पूर्णिमा की हो तो भीड़ का तो अंदाजा लगाना ही चुनौती का कार्य होता है, लेकिन इस बार के सावन में ऐसा नजर नहीं आ रहा इस बार सावन पूर्णिमा की तिथि और समय में विरोधाभास होने के कारण लोग असमंजस में नजर आ रहे हैं और मंदिरों में भीड़ के बजाय एक सुना पन छाया हुआ है जो सावन के आखिरी दिन पूर्णिमा के अवसर पर आमतौर पर देखने का नहीं मिलता लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है। शिव जी के दीदार को मगर इस सावन के पूर्णिया में लोगों का उत्साह और उमंग हर वर्ष की अपेक्षा कहीं कम नजर आ रहा है।

वही बात छुरा के प्रसिद्ध शिव मंदिरों इस बात का तस्दीक करता हुआ प्रतीत हो रहा हैं, जहां आज अपेक्षा कृत भक्त कम देखने को मिल रहें हैं, और विशेष चर्चा रक्षाबंधन कि हो तो इस पर शोले फिल्म में गब्बर का एक फेमस डायलॉग हुआ करता था ना कि कब है होली कब है होली इसी तरह का हर एक व्यक्ति के जहां में सवाल चल रहा है कि कब है रक्षाबंधन कब है रक्षाबंधन।