दुर्गम रास्तों को पार कर शिक्षा हासिल कर रहे अधिकांश आदिवासी बच्चे आठवीं के बाद छोड़ देते हैं पढ़ाई, हाई स्कूल पढ़ने रोज 30 किलोमीटर का सफर

Chhattisgarh Crimes

एक तरफ राज्य व केंद्र सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित करते हुए लाखों रुपए खर्च कर अनेक अभियान, कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए प्रेरित कर रही है। वहीं ठीक इसके विपरीत आदिवासी अंचल में पढ़ने की ललक होने के बावजूद हाईस्कूल नहीं होने के चलते अधिकांश आदिवासी अंचल के विद्यार्थी आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ने पर विवश हो रहें हैं, ऐसे मे बच्चों को खूब पढ़ो खूब खेलों का जो सरकारी प्रयास किया जा रहा हैं वह यहां बेमानी साबित हो रहा हैं। आदिवासी अंचलों में किस तरह विद्यार्थी विद्या हासिल करने जद्दोजहद करते हैं उस पर पेश हैं हमारे मैनपुर रिपोर्टर पुरन मेश्राम की एक रिपोर्ट…।

मैनपुर। हम बात कर रहें हैं गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर अंतर्गत भूतबेड़ा गरीबा क्षेत्र की जहां का अंदरूनी क्षैत्र नदी नालों और ऊबड़ खाबड़ रास्तों से अटा पड़ा है। ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी विद्यार्थियो को विद्या हासिल करने के लिए किन मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पढ़ता होगा आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। दुर्गम रास्तों से स्कूल आते समय अगर विद्यार्थियो की सायकल पंचर या खराब हो गई तो वो शाम तक ही घर पहुंच पाते हैं। जंगलों से अटा इस क्षेत्र मैं जंगली जानवरों के डर और भए के बीच बच्चे पढ़ने आते जाते है।

मैनपुर से लगभग 18 मीटर दूर ग्राम शोभा मे हाई स्कूल संचालित है।वहाँ से 15 मीटर दूर बीहड़ जंगल व उड़ीसा सीमा से लगे ग्राम गरीबा, भूतबेडा़, मौहानाला, भाँठापानी, ईचरादी, कोदोमाली, कोंचेंगा, मोंगराडीह,गोना, बरगाँव, रक्शापथरा,गाँजीमुडा़, तेन्दूछापर, भीमाटीकरा, मोतीपानी, कोकडी़ जैसे कई गांव है। जहां प्राथमिक व माध्यमिक शाला तो है। लेकिन क्षेत्र मे हाईस्कूल नहीं होने के कारण यहां के आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। आज भी गरीबा भूतबेड़ा कोचेंगा क्षेत्र के बच्चे हाई स्कूल में पढ़ाई करने 15 किलोमीटर दूर साइकिल से शोभा आते हैं। फिर 15 किलोमीटर शोभा से जाते हैं। 30 किलोमीटर साइकिल चलाना पड़ता है। क्षैत्र के बच्चों में पढ़ाई की ललक कितनी हैं आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि वो दुर्गम रास्तों और कठीन परिस्थितियों के बावजूद रोज स्कूल आना जाना करते हैं। सरकार ने गोना से गरीबा तक पक्की सड़क निर्माण तो किया गया है। लेकिन जर्जर उबड़ खाबड़ सड़कों के वजह से पढ़ने वाले बच्चों को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पढ़ता है।

हाई स्कूल की उठ चुकी हैं कई बार मांग

भूतबेड़ा गरीबा क्षेत्र में हाई स्कूल की मांग को लेकर सांसद विधायक और जिले के आला अधिकारियों को कई बार मांग पत्र दे चुके हैं। लेकिन अभी तक भूतबेडा़ गरीबा में हाईस्कूल नहीं खोला जा सका है। हाई स्कूल नहीं होने कारण छात्राओं को प्रतिदिन 25 से 30 किमी साइकिल से शोभा हाई स्कूल पढ़ाई करने आना पड़ता है। अधिकांश बच्चे आठवीं के बाद शिक्षा से वंचित हो जाते हैं।लगातार मांग करने के बावजूद क्षेत्र में हाई स्कूल का नही खुलना समझ से परे है। आदिवासी क्षेत्र के बच्चों का भविष्य अंधकारमय में हो रहा है। क्षेत्र के मुखियाओ के द्वारा बच्चों के भविष्य को देखते हुए भूतबेड़ा व गरीबा में हाई स्कूल खोलने की मांग शासन प्रशासन से किया है।

इस संबंध में क्या कहते हैं

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम कहते हैं कि शोभा में हायर सेकेंडरी स्कूल खोलने के लिए शिक्षा मंत्री को मांग पत्र सौंपी गई है। इसके साथ ही भूतबेड़ा गरीबा क्षेत्र में हाईस्कूल नहीं होने के कारण स्कूली छात्राओं को शोभा तक आना पड़ता है। इस समस्याओं को लेकर जिले के आला अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। जल्द ही स्कूल खोलने फिर प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात करेंगे।