सालभर में लगभग दोगुना हो गया आलू का रेट, प्याज में भी लगी आग, फिलहाल राहत के आसार कम

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नई दिल्ली। पिछले एक साल में गेहूं को छोड़कर सभी जरूरी खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े हैं। आलू के दाम में सबसे ज्यादा 92% का उछाल देखा गया जबकि प्याज सालभर में 44 फीसदी महंगा हो गया। खाने की चीजें महंगी होने से नीति नियंताओं की परेशानी बढ़ गई है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह महंगाई अस्थायी है और सप्लाई सुधरते ही दूर हो जाएगी। डेटा दिखाता है कि सब्जियों, मांस-मछली और दालों के दाम खासतौर पर बढ़े हैं। बाजार में प्याज इतना महंगा हो गया है कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को लिमिट तय करनी पड़ गई। अगर आलू के दाम भी बढ़ते हैं तो सरकार उसकी स्टॉक लिमिट भी लागू कर सकती है। हालांकि रिजर्व बैंक का कहना है कि अगले साल की शुरूआत तक कीमतें काबू में आ सकती हैं। पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह रोजमर्रा खाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम बढ़े।

सालभर में आलू 108% तो प्याज 47% हो गया महंगा

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का डेटा दिखाता है कि पिछले एक साल में, थोक बाजार में आलू के दाम 108% बढ़े हैं। साल भर पहले थोक में आलू 1,739 रुपये क्विंटल बिकता था, वहीं अब 3,633 रुपये क्विंटल हो गया है। शनिवार को प्याज के दाम 5,645 रुपये प्रति क्विंटल थे जो कि सालभर पहले 1,739 हुआ करते थे। यानी प्याज के रेट सालभर में 47% बढ़ गए हैं।

पिछले 5 साल में ढाई गुना हो गए आलू के दाम

पिछले पांच साल में आलू की खुदरा कीमतों का एक तुलनात्मक अध्ययन दिखाता है कि दाम 16.7 रुपये/किलो से बढ़कर 43 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार के पास आलू के स्टॉक पर लिमिट तय करने का विकल्प है। लेकिन फिलहाल कीमतें बढ़ने पर वह सभी संभव विकल्प उठाएगी जैसे आलू काआयात करना, ताकि कीमतों पर लगाम लग सके।

कीमतें बढ़ने से बिगड़ गए महंगाई के आंकड़े

आलू और प्याज के अलावा दालों के दाम बढ़ जाने से भी घरों का बजट गड़बड़ा गया है। पिछले कुछ महीनों से यह ट्रेंड थोक और खुदरा महंगाई के आंकड़ों में भी नजर आ रहा है। खाद्य पदाथों की कीमतों में बढ़त का असर बाकी आंकड़ों पर पड़ रहा था। डेटा के अनुसार, सब्जियों, मांस-मछली और दालों जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इस महंगाई का ही नतीजा रहा कि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया को ब्याज दर कटौती चक्र को रोकना पड़ा।

आलू के स्टॉक पर लिमिट फिलहाल नहीं

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में प्याज के स्टॉक की लिमिट तय कर दी थी। एक अधिकारी के अनुसार, आलू और प्याज में एक अंतर है। पर्याप्त संकेत थे कि प्याज की उपलब्धता ज्यादा थी और कीमतें जान-बूझकर बढ़ाई जा रही थीं। लेकिन आलू के केस में फसल कम हुई है और लॉकडाउन के दौरान स्टॉक और इस्तेमाल बढ़ गया। सरकार हालात से निपटने के लिए कई विकल्पों पर विचार करेगी।

रिजर्व बैंक ने बताया, कब तक कम होंगे सब्जियों के दाम

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के अनुसार, कई महीनों से महंगाई सहनशीलता के स्तर से ज्यादा रही है लेकिन समिति का मानना है कि जरूरी सप्लाई को लगे झटके धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था खुलने के साथ-साथ आने वाले महीनों में गायाब हो जाएंगे, सप्लाई चैन्स बहाल हो जाएंगी और गतिविधियां सामान्य हो जाएंगी।” केंद्रीय बैंक के अनुसार, टमाटर, प्याज और आलू जैसी मुख्य सब्जियों के दाम भी तीसरी तिमाही तक खरीफ की फसलें आने के साथ कम हो जाने चाहिए। आईबीआई के अनुसार, दालों और खाद्य तेल के दाम आयात शुल्क में बढ़त की वजह से इसी तरह बने रहेंगे।

पिछले साल के मुकाबले कम हुई आलू की पैदावार

आलू की फसल इस साल खासी कम रही है। उत्तर प्रदेश जो कि आलू का सबसे बड़ा उत्पादक है, वहां पिछले साल के 15.5 मिलियन टन के मुकाबले इस साल 12.4 मिलियन टन आलू ही हुआ। दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल में भी पिछले साल 11 मिलियन टन के मुकाबले इस बार केवल 8.5-9 मिलियन टन आलू की पैदावार रही।

आलू-प्याज के दाम कम करने में लगी सरकार

सरकार ने शुक्रवार को भूटान से आलू के आयात में छूट दे दी। लाइसेंस की जरूरत खत्म कर दी गई है और टैरिफ रेट कोटा योजना के तहत अतिरिक्त 10 लाख टन आलू के आयात की अनुमति दी गई है। ठेका जीतने वाले को अगले साल 31 जनवरी से पहले माल पहुंचा देना होगा। जहां तक प्याज की बात है, निजी कंपनियों का खरीदा 7,000 टन प्याज भारत पहुंच चुका है। 16 नवंबर तक 25 हजार टन प्याज और आ जाएगा। नैफेड ने शनिवार को 15 हजार टन लाल प्याज के आयात का टेंडर निकाला है।