बिलासपुर। कोयले की कमी की वजह से देश के कई राज्य बिजली संकट से जूझ रहे हैं। यह स्थिति तब है जब कोल इंडिया ने 2020-21 में 596.22 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है। इधर, कोल इंडिया ने वर्ष 2023-24 तक कोयला उत्पादन को एक हजार मिलियन टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
लेकिन उत्पादन से ज्यादा बड़ी चुनौती कोयले को पॉवर प्लांट तक पहुंचाना है। अभी स्थिति ये है कि पूरे देश में 600 यात्री ट्रेनें रद्द करने के बावजूद रेलवे 596 मिलियन टन कोयला ढुलाई में हांफने लगा है। उत्पादन दोगुना होने पर ढुलाई कैसे होगी, इसे लेकर रेलवे में मंथन शुरू हो गया है। देश में पिछले कुछ सालों से गर्मी के मौसम में कोयले का संकट खड़ा हो रहा है। इसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ रहा है।
वर्तमान में देश के 10-12 राज्यों में 10 से 14 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है। देश के 173 में से 109 पॉवर प्लांट क्रिटिकल स्टॉक के हालात हैं। यानी 63 फीसदी पॉवर प्लांट मे कोयले की कमी है। पॉवर प्लांट तक कोयला पहुंचाने में सबसे बड़ी समस्या पर्याप्त रैक का नहीं मिल पाना है। रेलवे इन दिनों 55 रैक कम उपलब्ध करा पा रहा है।
इसके साथ रेलवे ट्रैक का खाली मिलना भी बड़ी समस्या के तौर पर सामने आई है। इस समस्या को दूर करने के लिए देशभर में 600 से अधिक यात्री ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। जो ट्रेनें चल रही हैं, उन्हें कहीं भी घंटों खड़ाकर कोयला ले जाने वाली मालगाड़ियों को पास कराया जा रहा है। इस कारण कई जगहों पर यात्रियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है।
मालगाड़ी और ट्रैक बड़ी समस्या
कोयला उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाया जा रहा है, इसके लिए कोल इंडिया ने अपने प्रोजेक्ट की संख्या भी बढ़ाने का निर्णय लिया है। साथ ही, वर्षों से बंद पड़ी 20 खदानों को दोबारा शुरू किया जा रहा है। कोल प्रोडक्शन बढ़ने पर सबसे बड़ी समस्या साइडिंग, रैक और रेलवे ट्रैक की आने वाली है।
आने वाले दो साल में साइडिंग और रैक बढ़ाना रेलवे के लिए बड़ी चुनौती होगी। वहीं, रेलवे ट्रैक का खाली मिलना भी बड़ी चुनौती होगी। जाहिर है कि रेलवे का आने वाले दिनों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा निवेश करना होगा, इससे ही हालात सुधरेंगे।