हाईकोर्ट ने पुलिस को दी हिदायत, भविष्य में इस तरह की गलती न करे

Chhattisgarh Crimes

कोरबा। जिले के दो कबाड़ व्यवसाईयों की गिरफ्तारी के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है. कारोबारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया गया था. जमानत खारिज होने के बाद उन्हें रिमांड पर जेल भेज दिया गया था. इस मामले में चीफ जस्टिस की बेंच ने सीआरपीसी के सेक्शन 41(1) (डी) की व्याख्या करते हुए प्रार्थियों को क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि गिरफ्तारी और जमानत देने के प्रावधानों का पुलिस और ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट पालन करें. आदेश की कॉपी को रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से राज्य के सभी ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट, डीआईजी, आईजी और एसपी को भेजने के भी निर्देश दिए हैं. भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति ना हो, इस बात का भी खास ध्यान रखने की टिप्पणी हाइकोर्ट ने की है.

कोरबा के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के सीएसईबी चौकी पुलिस ने कबाड़ कारोबारी मुकेश साहू और आशीष मैती को 20 फरवरी 2021 में गिरफ्तार किया था. तत्कालीन चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर कृष्णा साहू ने इन्हें ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर रिमांड की मांग की थी. कोर्ट ने 5 मार्च 2021 तक की अवधि के लिए रिमांड की स्वीकृति दी. दोनों व्यक्तियों ने जमानत आवेदन भी प्रस्तुत किया, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था. इसके बाद दोनों को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी.

जमानत के साथ ही मुकेश और आशीष ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिसमें कहा गया कि, पुलिस ने मनमाने ढंग से अवैधानिक तरीके से गिरफ्तारी की है. सेक्शन 41(1) (डी) का दुरुपयोग करते हुए दुर्भावनापूर्वक चोरी का सामान रखने और विक्रय करने के आरोप पर लगाकर बिना वारंट के गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी है. इसके लिए 5-5 लाख रुपये में क्षतिपूर्ति की मांग याचिका में की थी. याचिका में तत्कालीन चौकी प्रभारी कृष्णा साहू को भी पार्टी बनाया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने प्रार्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया. उन्हें क्षतिपूर्ति के तौर पर एक 1-1 लाख रुपये प्रदान करने का आदेश राज्य शासन को दिया है. यह क्षतिपूर्ति 30 दिनों के भीतर भुगतान कर दिए जाने का भी उल्लेख आदेश में है.