मिसाल बनीं ये आईएएस, 22 दिन की नवजात बेटी के साथ दफ्तर में फाइलें निपटाती हैं एसडीएम मां

Chhattisgarh Crimes

गाजियाबाद। देश महीनों से कोरोनावायरस से जूझ रहा है. कई चरणों में लॉकडाउन का सामना करने के बाद अब अक्टूबर के महीने में देश अनलॉक की पांचवीं प्रक्रिया है. कोविड-19 के बीच सबसे ज्यादा बोझ पड़ा है हेल्थ सेक्टर और हेल्थ वर्कर्स पर. लेकिन इसके बाद पुलिस प्रशासन भी फ्रंटलाइन पर रहा है. कोविड-19 के संकट के वक्त दोनों ही सेक्टरों से बहुत से डॉक्टरों और अधिकारियों ने या तो छुट्टी ली थी या फिर इस्तीफा दे दिया था लेकिन गाजिÞयाबाद की एसडीएम ने इस संकट की घड़ी में एक नया उदाहरण पेश किया है.

आईएएस सौम्या पांडे गाजियाबाद के मोदीनगर में एसडीएम के पद पर तैनात हैं. उन्होंने इस कोरोना के दौर में एक प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया है. हालांकि, डिलीवरी के बाद उनका मैटरनिटी लीव पर पूरा हक है लेकिन उन्होंने महज एक महीने की मैटरनिटी लीव ली है इसके बाद वापस काम पर लौट आई हैं.

महामारी के इस भयानक दौर में जहां कई अधिकारियों ने अपने आप को जनता से दूर कर लिया है, वहीं सौम्या बिटिया को जन्म देने के बाद एक महीने से भी कम समय में दोबारा से अपनी जिम्मेदारी समझते हुए वापस आफिस आने लगीं। एक मां और प्रशासनिक अधिकारी की जिम्मेदारियों का ऐसा खूबसूरत तालमेल बिठाने के लिए उनकी काफी प्रशंसा की जा रही है.

दफ्तर में काम और घर के बीच सामंजस्य पर सौम्या पांडेय ने कहा कि दिन में कई बार मुझे कोविड अस्पतालों में जाना पड़ता है. इसके बाद जब दफ्तर से लौटकर घर जाती हूं तो पहले खुद को और बाद में फाइलों को भी सैनेटाइज कर लेती हूं, ताकि घर के लोग और मेरी बच्ची सुरक्षित रहे. यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपनी बच्ची के साथ-साथ तहसील के लोगों का भी ख्याल रखूं.

सौम्या ने बताया कि मुझे बच्ची के साथ दफ्तर आकर काम करने में मेरे परिवार का बहुत सहयोग मिला है. साथ ही गाजियाबाद के जिलाधिकारी का भी बहुत सहयोग मिला. सौम्या पांडेय ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम को मिशन के रूप में लिया है. इसलिए मौजूदा माहौल में अधिकारियों का दफ्तर में रहना जरूरी है.

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