राकेश टिकैत पर हमले के आरोप में ABVP नेता समेत 14 गिरफ्तार

Chhattisgarh Crimes

अलवर। किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश सिंह टिकैत के काफिल पर राजस्थान के अलवर में हमला हो गया। हमलावरों ने काफिले पर पत्थर फेंके जिसमें चार गाड़ियों के शीशे टूट गए। साथ में काली स्याही भी फेंकी गई। हमले के विरोध में राकेश टिकैत वहीं धरने पर बैठ गए। इसके बाद राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार हरकत में आई। खुद मुख्यमंत्री ने हमले की निंदा की और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया। ताजा खबर यह है कि राजस्थान पुलिस ने मामले में 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक एबीवीपी के नेता भी शामिल है।

जानिए पूरा घटनाक्रम

राजस्थान के अलवर जिले में किसान महापंचायत को संबोधित करने पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के काफिले पर शुक्रवार को हमला हो गया। हमलावर किसान वर्ग के 15-20 युवक बताए गए। पथराव में टिकैत के काफिले की चार गाड़ियों के शीशे टूट गए। दो गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं। टिकैत पर स्याही भी फेंकी गई, लेकिन उनको कोई चोट नहीं लगी है। शुरू में पुलिस ने चार हमलावरों को हिरासत में लिया, जिनमें अलवर स्थित राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष कुलदीप यादव शामिल हैं।

अलवर जिले के ततारपुर चौराहे पर हमला उस समय हुआ जब टिकैत हरसौली में आयोजित महापंचायत को संबोधित कर बानसूर जा रहे थे। पथराव के बाद टिकैत और उनके समर्थक धरने पर बैठ गए। हालांकि बाद में टिकैत तो धरने से उठकर बानसूर की महापंचायत को संबोधित करने के लिए रवाना हो गए। उनके समर्थक कुछ देर धरने पर बैठे रहे। संयुक्त किसान मोर्चा के शाहजहांपुर-जयसिहपुर खेड़ा बार्डर के प्रवक्ता डा. संजय माधव ने कहा कि भाजपा व आरएसएस ने राकेश टिकैत पर हमला कराया है।

राकेश टिकैत की गाड़ी पर हमले के विरोध में शुक्रवार देर शाम कुंडली बार्डर पर बैठे आंदोलनकारियों ने केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल) एक्सप्रेस-वे को जाम कर दिया। हालांकि, करीब 20 मिनट बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आंदोलनकारियों को वहां से वापस बुला लिया और इसके बारे में बाद में बैठक कर कोई निर्णय लेने की बात कही। आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई ने टिकैत पर हमले की निदा की। आप नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिह चीमा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार अब अपनी पार्टी के गुंडों के माध्यम से किसान आंदोलन को दबाने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है।