लालटेन युग में जीने को विवश राजापड़ाव क्षेत्र के अधिकांश गांव

क्षेत्रवासी अपने हक अधिकार के लिए करते हैं संघर्ष मगर अब तक किसी ने नहीं ली सुधी

Chhattisgarh Crimes

पूरन मेश्राम/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

मैनपुर। 21वीं सदी का भारत में आज भी सुदूर वनांचल अंतिम पंक्ति के गाँवो में निवास करने वाले ग्रामीण लालटेन युग में जीने को मजबूर हो जाए तो क्या यही अपने पूरखो के सपनों का आजादी होगी। शोषित पीड़ित वंचित समुदाय से इस समस्याओं को लेकर पूछा जाए तो उनका जवाब सिर्फ और सिर्फ नहीं होगी।

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मूलभूत बुनियादी सुविधा शिक्षा स्वास्थ्य बिजली आवागमन यही लोगों को नसीब ना हो तो कैसे कहें कि हम स्वतंत्र भारत के रहवासी हैं। गरियाबंद जिले के विकासखंड मैनपुर राजापड़ाव क्षेत्र अति संवेदनशील इलाका जहां पर 8 ग्राम पंचायत एवं 65 गांव पारा टोला समाहित है।

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कहने के लिए तो विकास की धारा अंतिम पंक्ति के गांव तक पहुंच रही है ऐसा शासन-प्रशासन की ओर से कहीं जाती है लेकिन मैदानी अमले में इसका जवाब भगवान भरोसा है। बुनियादी सुविधाओं में से एक विशेष माँग विद्युतीकरण वर्षों से क्षेत्रवासियों के द्वारा किया जा रहा है लेकिन सरकारें आई और गई पार्टी आई और गई लेकिन मुद्दे ज्यों का त्यों है आज भी क्षेत्रवासी लालटेन युग में जीने को मजबूर हो रहे हैं।

अधिकांश गांव में सौर ऊर्जा से उजियारा लाने का प्रयास शासन प्रशासन के द्वारा किया गया है वह सिर्फ और सिर्फ खोखला साबित हो गया जिसके कारण इस मांग को लेकर सैकड़ों बार किसान संघर्ष समिति राजापड़ाव क्षेत्र की ओर से सैद्धांतिक आंदोलन का रुख अख्तियार किया गया लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सरकार से निराशा ही हाथ लगी। इस क्षेत्र में अंधियारा दूर करने के लिए वैकल्पिक सौर ऊर्जा का व्यवस्था तो शासन के द्वारा किया गया है लेकिन वह सिर्फ और सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। वैकल्पिक सौर ऊर्जा से मात्र और मात्र महज कुछ घंटे ही अंधेरों से मुक्ति मिलती है।

फिर वही लालटेन युग कायम हो जाता है। सुदूर वनांचल क्षेत्रों में विषैले सर्प बिच्छू के अलावा जंगली जानवरों से कैसे ग्रामीण अंधेरों से निपटते होंगे वही समझ सकते हैं। इस संबंध में किसान संघर्ष समिति राजापडाव क्षेत्र के मुखिया दैनिक राम मंडावी ने प्रेस विज्ञप्ति मे बताया कि कुछ महीना पहले क्षेत्रवासियों के आंदोलन को शांत करने के लिए बिजली का खंभा गरहाडीह पंचायत के गाँवो मे गडा़ते हुए बिजली के तार भी खींचा गया है। लेकिन उसमें विद्युत प्रवाह किधर से करेंगे क्योंकि गरहाडीह गाँव, गौरगांव और कोकड़ी के बीच में बसाहट बस्ती है। इधर गौरगांव और कोकड़ी में तो विद्युतीकरण ही नहीं हुआ है। क्षेत्रवासियों के द्वारा लंबा संघर्ष करने के बाद 8 ग्राम पंचायतों में से 3 ग्राम पंचायत के गाँवो में ही विद्युतीकरण किया गया है। बाकी पंचायतों के गांव में आज भी ग्रामीणों को विद्युतीकरण का इंतजार है।

राजापड़ाव क्षेत्र के बिजली विहिन गांव रक्शापथरा, कमारपारा, कोकड़ी,बरगाँव,डूमरबुडरा,छिंद भर्री,चिपरी, नगबेल, गरहाडीह,धोबनडीह,बोरईडीह,कांदाखोदरा,घोटियाभर्री, गौरगांव, नयापारा,धवईभर्री,गेदरा बेड़ा, झोलाराव, लाटापारा, कछार पारा,बरगांव,मोगराडीह,भूतबेड़ा भालू पानी, मोतीपानी,तेन्दूछापर भीमा टिकरा, कोचेंगा,बाहरापारा,भदरीपारा गाजीमुड़ा, गरीबा,मौहानाला, भाँटापानी,खरताबेड़ा जहां आज भी ग्रामीण अंधेरों में जीने को मजबूर हो रहे हैं।
इन गांवो में वैकल्पिक सौर ऊर्जा के बजाय विद्युतीकरण किए जाने की मांग क्षेत्रवासियों ने किया है।