वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा पोस्टर जारी

  • जंगलों को आग से मत करो नष्ट, सांस लेने में होगा कष्ट
  • वनों को आग से बचाने क्या करें और क्या ना करें

Chhattisgarh Crimes

पूरन मेश्राम/मैनपुर। आग वनों का सबसे बड़ा दुश्मन है वनों में आग देखते ही देखते वृक्षों जंगली जानवरों और उनके बच्चों अंडों एवं छोटे पेड़ पौधों व कीट पतंग को जला करके खत्म कर देता है। आग से भूमि की नमी समाप्त होकर कठोर हो जाती है। जिससे आग से जले जंगल में बीज भी आसानी से नहीं उग पाते वनांचल क्षेत्र के रह वासियों का जंगलों से रिश्ता पुराना है। आजीविका के साधन पर आदिवासी मूलनिवासी समाज जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं।
वनों की सुरक्षा मानव समाज की सुरक्षा पर निहित है।

इसलिए हम सबको मिलकर वनों की संरक्षण संवर्धन की दिशा में काम किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग के द्वारा वनों को आग से बचाने क्या करें और क्या ना करें इस पर पोस्टर जारी कर विस्तार पूर्वक जानकारी दे रही है।

क्या करें

  • महुआ तेंदू चार बीज एवं अन्य वन उपज इकट्ठा करने के लिए पेड़ के नीचे झाड़ू से सूखे पत्ते अलग करे जिसे आसानी से इकट्ठा कर सके।
  • बीड़ी सिगरेट पीना हो तो एक जगह बैठकर पिए और माचिस की तिली बीड़ी सिगरेट का बचा हुआ टुकड़ा पूरी तरह से बुझा दे।
  • जंगल में खाना ना पकाये यदि खाना बनाना आवश्यक है तो साफ और खुली जगह में बनाएं।
  • जंगल में आग देखते ही बुझाने का प्रयास करें अधिक हो तो वन विभाग को सूचित करें आग बुझाने में वन कर्मचारी एवं ग्राम वासियों का सहायता करें।
  • आग लगने की स्थिति में आग से कुछ दूरी में पतली पंक्ति में सूखे पत्तों की सफाई करते फायर लाइन निर्मित करें ताकि आग आगे न फैल सके।

क्या ना करे

  • महुआ फूल साल बीज एवं अन्य वन उपज इकट्ठा करने के लिए पेड़ के नीचे एवं आसपास आग ना लगाये
  • जंगल में खाना पकाने के बाद जलती आग ना छोड़े
  • जंगल से गुजरते समय बीड़ी सिगरेट में जलते हुए टुकड़े जंगल में ना फेके।
  • वनों के निकट खेतों में कभी भी पैरा में आग लगाकर ना छोड़े।
  • आग बुझाते समय हवा की दिशा में ना जाएं इससे आपके शरीर जल सकता है।
  • आग के समय या धुएं में अधिक समय ना बिताये अन्यथा शरीर में ऑक्सीजन की कमी से बेहोश हो सकते हैं।

वनों में आग लगाना व जलता हुआ छोड़ देना आरक्षित वन भारतीय वन अधिनियम 1972 की धारा 26(1)ख,ग,एवं संरक्षित वन भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 133 (1)घ,ड के तहत दण्डनीय दानी अपराध है। जिसके अंतर्गत 3 वर्ष से 7 वर्ष की सजा हो सकती है।
या ₹25000 तक आर्थिक दंड या दोनों हो सकता है।
छत्तीसगढ़ क्राइम परिवार आग से वनों को बचाते हुए संरक्षण संवर्धन की दिशा में काम करने की अपील करती है।

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