खबर का असर ऐसा था की आचार सँहिता के दौरान ही बन गया चबूतरा, लाखागढ़ पंचायत में प्रधानमंत्री नल जल योजना का बुरा हाल

Chhattisgarh Crimes

शिखादास/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

पिथौरा। “लाखागढ़ पंचायत में प्रधानमंत्री नल जल योजना को किसने लगाया पूर्ण ग्रहण” शीर्षक के साथ हमने प्रमुखता के साथ इस योजना की जमीनी हकीकत बयां करने वाली खबर का प्रकाशन किया, तो इसका असर इतनी तेजी से हुआ कि नल जल योजना के तहत लगे नलों में टोंटिया के साथ चबूतरा का निर्माण आचार संहिता लागू रहते ही प्रारंभ कर दिया गया।

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खबर प्रकाशन के दौरान हमारे रिपोर्टर ने पीएचई ठेकेदार व पीएचई के ई को भी अवगत करवाया गया था कि अधूरे काम के बीच टोटियां तो डेढ़ वर्ष से बाट जोह रहीं पानी टंकी बनने की औऱ सुखी पड़ी हैं वहीं नलों के नीचे जो चबूतरा बनना था वो भी नहीं बना हैं । हमने अपनी जमीनी हकीकत के साथ खबर का प्रकाशन रविवार 25 जून को करने के बाद दूसरे ही दिन यानी सोमवार 26 जून को आचार संहिता लागू होने के बावजूद लाखागढ़ पंचायत के वार्ड नंबर 16 व 15 में पानी के लिए सालों से प्रतिक्षारत नल की टोटीयो के नीचे ये चबुतरा सा बना दिया गया । जबकि अपने बयान में ठेकेदार जयंत पीँचा ने दलील देते हुए हमें बताया था कि जो सरपंच अब तक पानी टंकी निर्माण के लिए स्थान मुहैय्या नहीं करा पाया था वहीं सरपंच आचार सँहिता के बीच हमें पानी टँकी निर्माण के लिए जगह देने और टंकी निर्माण कार्य प्रारंभ करने बुला रहा था तो हमने आचार संहिता लागू रहने के चलते निर्माण कार्य प्रारंभ करने से मना कर दिया बताया था पर जब हमने अब आचार संहिता लागू रहने के दौरान चबूतरा निर्माण कैसे किया गया तो पीएचई का ठेकेदार अपने बयान गोलमोल जवाब देने लगा और यह कहा कि यह कार्य पूर्व से स्वीकृत है इसलिए हम आचार संहिता लागू रहने के दौरान कर सकते हैं।

यहां देखने वाली बात यह है कि एक ही योजना के लिए दो कानून कैसे हो सकते है जब आप आचार संहिता लागू होने के कारण जनहित से जुड़े मुद्दे पानी टंकी निर्माण के लिए जगह देखने नहीं आ सकते है आचार संहिता की दुहाई देते रहें तो फिर नल जल योजना के तहत् ही पीएचई ठेकेदार ने आखिर आचार संहिता के दौरान ही कैसे चबूतरा का निर्माण करा दिया जो की काफी समय से लंबित हैं यह एक बड़ा सवाल है।

वहीं दूसरी तरफ एक और घटना उल्लेखनीय है कि पिछले 15 वर्षों से विकास की धारा की बाट देखते-देखते थक गये वार्ड 12 के वासियों के बीच पानी को लेकर वो काफी नाराजगी थी और गुस्सा चरम सीमा पर था सो वोट नही देंगे बोले ऐसा बताया जा रहा है तब बोरवेल गाड़ी 25 जून को पहुंची तो आचार संहिता पर कुछ जागरूक पत्रकार फ़ोटो खिंचे व विपक्ष ने पब्लिक ने विरोध किया तो बोरवेल वाले भाग गए ।

बहरहाल अब देखना है कि 15 वर्षों के विकास की धारा की दस्तावेजी फर्जीवाड़े को लेकर कॉंग्रेस ऐसी गुमसुम बैठे रहेंगी या फिर इसे पुरजोर के साथ उठाएगी। क्या जिला प्रशासन और निर्वाचन अधिकारी आचार सँहिता के दरमियान बोरखनन करने वाले बोरवेल मालिक पर नियमत: कार्यवाही करेगा ? क्या जिला प्रशासन इस शख्स को ढूंढ निकालेगा जिसके बुलाए पर बोर खनन वहा पहुंचा था?

आज इस विषय पर एसडीएम व तहसीलदार का कथन लेने की कोशिश की गयीं पर उन्होंने कॉल ही रिसीव नहीं किये ।

जयन्त पीँचा ने आज कहा कि शासनप्रशासन द्वारा आचार सँहिता मे शासकीय काम रोका जाये ऐसा कोई र्निदेश नहीं है । पुर्व से चल रहा था काम तो हर वार्ड मे लेबर क्रमशः गये चलते हुए काम को आचार सँहिता के कारण नही रोक सकते ? लोकहित जनहित के काम को आचार सँहिता के नाम से नही रोक सकते पहले से जारी था। (चबुतरा निर्माण)

बोरवेल से मेरा कोई सँबध नहीं । PHEका मैकेनिकल विभाग जानेगा ।