खुले लिफाफे में CM ऑफिस को मिले टॉप सीक्रेट दस्तावेज; चौबे बोले- डॉ. रमन क्यों डर रहे हैं

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। रायपुर के कांग्रेस दफ्तर में प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ली। इस दौरान रविंद्र चौबे ने हैरान करने वाले खुलासे किए। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सबसे बड़े नक्सल हमले की जांच के टॉप सीक्रेट दस्तावेजों को लेकर अफसरों ने लापरवाही बरती है।

मंत्री चौबे ने कहा कि जांच रिपोर्ट जब राज्यपाल के दफ्तर से मुख्यमंत्री कार्यालय CMO पहुंची तो लिफाफा खुला हुआ था। इससे रिपोर्ट के लीक होने की आशंका को बल मिलता है। जब CMO से खुले लिफाफे की रिपोर्ट को लौटा दिया गया। बाद में सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज भेजे गए।

ताम्रध्वज साहू ने कहा कि 28 मई 2013 को जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में जांच कमेटी बनी। उस दौरान 3 महीने में रिपोर्ट देने कहा गया, लेकिन तय सीमा में जांच नहीं हो पाई। लगातार तारीख पर तारीख बढ़ते गई। 20 बार तारीख बढ़ाई गई। जांच आयोग ने 23 सितंबर 2021 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की आयोग का कार्यकाल बढ़ाया जाए। अचानक 6 नवंबर 2021 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को दी। आयोग ने नियम के विपरीत रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी हैं, जबकि रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जानी थी। बीजेपी नेता कांग्रेस नेताओं को कहते हैं कि वो डर रहे हैं, लेकिन हम डरेंगे क्यों, क्योंकि हमने तो अपने बड़े नेता इस कांड में खोया है।

कृषि चौबे ने कहा कि झीरम घाटी कांड की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने के बाद बीजेपी को लगता हैं कि बड़ा मामला हाथ लग गया है। डी. पुरंदेश्वरी और डॉ. रमन सिंह कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं कि हम कुछ छिपाना चाहते हैं। हम बार-बार कह रहे हैं और आज भी कह रहे हैं षड्यंत्र हुआ है। इस राजनीतिक हत्याकांड के पीछे षड्यंत्र में कौन शामिल है? सामने आना ही चाहिए।

झीरम नरसंहार तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के माथे पर लगा कलंक का टीका है। डॉ. रमन सिंह इस कलंक से मुक्त नहीं हो सकते। वे इतने भयाक्रांत क्यों हैं? हम चाहते हैं कि इस षड्यंत्र के पीछे कौन है सामने आए? षड्यंत्र के पीछे किसका हाथ हैं? वह सामने आना चाहिए। उद्देश्य हमारा यही है कि जांच सही हो इसलिए हमने आयोग बनाया है ।